बुधवार, ८ जुलै, २०१५

|| मेल ||

|| मेल ||
×××××××
मेल हों तो, दिया बाती जैसा
जले बाती दिया आंच सहता..
बड़ी अजीब है यह प्रीत की रीत
लब खामोश और दिल बतियाता..!!
******सुनिल पवार.....

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