बुधवार, ३ जून, २०१५

II अजीब रिश्ता II

II अजीब रिश्ता II
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अजीब रिश्ता रहा हमारा कुछ इस तरह अपनों से..
पूछते है हजार बार हम अपनी किस्मत से..
के क्या चाहती है तू ऐ जालिम जिंदगी हमसे..
सामने तो आती है मगर मुकर जाती है पहचाननेसे..!!
************सुनिल पवार......

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