मंगळवार, ४ जून, २०१९

काश..

काश..
काश यह वक्त ठहर जाता
तो घर जाने का बहाना ना होता।
कोई तक़रार न होती प्यार में
और बेखबर यह जमाना होता।
--सुनिल पवार...✍️
काश यह वक्त ठहर जाता
तो घर जाने का बहाना ना होता।
कोई तक़रार न होती प्यार में
और बेखबर यह जमाना होता।
--सुनिल पवार...✍️

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