सोमवार, ४ जानेवारी, २०२१

दूधगंगेची सैर करून

 दुधगंगेची सैर करून 

सांजेला चंद्र उगवला।

भास्कर चकित झाला

अंमळ लवकर मावळला।

--सुनील पावर..

तुम्हारी तरह

 तुम्हारी तरह..


तुम्हारी तरह ही

मुझे नींद आती नही।

मगर 

हम दोनों में फर्क इतना है की

मैं अकेला

और तुम्हारे इर्दगिर्द

सितारे है कईं।

--सुनील पवार..

भींत मनाची

 भिंत मनाची..


भिंत मनाची अस्ताव्यस्त

आता सावरायला हवी।

जळमटे मनाची साफ करून

नव्याने रंगवायला हवी।

--सुनील पवार..

न जाने क्यों

 न जाने क्यों..

न जाने क्यों 

आये दिन मौसम बदलते रहते हैं

अपना कहकर 

लोग पल में पराये कर देते हैं।

--सुनील पवार..

कभी यूँ ही नही..

कभी यूँ ही नही..


कभी यूँ ही नही 

बार बार किसी की याद आती है।

ये वो डोर है

जो पतंग को खींचकर लाती है।

--सुनील पवार..

सदा बेहतर होता है

 सदा बेहतर होता है..


सदा बेहतर होता है

समझौता कर लेना।

वरना कठिन होता है

रिश्तों को सँभालना।

--सुनील पवार..

पुरुष

 पुरुष..


न समजलेला तो

ना समजणार कधी कोणाला।

हीच अगतिकता त्याची

नाही आवाज त्याच्या रुदनाला।

--सुनील पवार..

कुछ छूट रहा है

 कुछ छूट रहा है..


कुछ छूट रहा है

क्या इसका अंदेशा है तुम्हें?

सबकुछ साथ तो ले लिया

पर तुम भूल गए हमें।

--सुनील पवार..✍️

चार क्षण जगावे असे की

चार क्षण जगावे असे की..
चार क्षण जगावे असे की
कलेकलेने घटणेही मनी ठसावे।
लुप्त होता चंद्र अवसेला
मन चातकाचे व्याकुळ व्हावे।

--सुनील पवार....


माणूस म्हणून जगताना

 माणूस म्हणून जगताना..

माणूस म्हणून जगताना
माणुसकीला जपायला हवे।
आता झालेय जे कालबाह्य
ते सर्व काही टाकायला हवे।
--सुनील पवार..

तुम चाहो तो

तुम चाहो तो..
तुम चाहो तो
फिर से लौट भी आएंगे।
पर ये तो बताओ
कैसे विश्वास दिला पाओगें।
--सुनील पवार..

खिलौनों की चाहत रखने वाले

 खिलौनों की चाहत रखने वाले..

खिलौनों की चाहत रखने वाले
कहाँ टिकते है एक खिलौनें पर।
हर पल इक नया खिलौना
ढूंढती रहती है उनकी नजर।
--सुनील पवार..

मन बड़ा चंचल है

 मन बड़ा चंचल है..


प्यास नहीं बुझती मन की
मन बड़ा चंचल है।
आस उनसे लगाता है
जो आँखों से ओझल है।
--सुनील पवार..

घरटे सोडून जाताना

 घरटे सोडून जाताना..

घरटे सोडून जाताना
ना पाखरांनी वळून पाहिले।
हिरव्या आठवणींस कवटाळून
झाड एकाकी मागे राहिले।
--सुनील पवार..

पर गम नहीं

 पर गम नहीं..

ये वो दौर है
जहाँ ज़िन्दगी का इम्तहान सख्त है।
पर गम नहीं
यही तो सीखनें का मुक़म्मल वक्त है।
--सुनील पवार..

वो रास्ता

 वो रास्ता..

वो रास्ता
कहाँ जाता है? कुछ पता नही।
पर ऐसा नही की
अन्जान रास्तों पर कोई चलता नही।
--सुनील पवार..

तुम यूँ ही

 तुम यूँ ही..

वक़्त नही गुज़रता तुम्हारे बिना
बिना खुशियों के क्या जीना।
तुम्हारे साथ उसका आना जाना
ऐ दिल...
तुम यूँ ही ज़िंदादिली से धड़कना।
--सुनील पवार..

सफ़र अधूरा नही छोड़ते

 सफ़र अधूरा नही छोड़ते..

सफ़र अधूरा नही छोड़ते
ये तो हर कोई जानता है।
मगर अमावस के दिन
चाँद कहाँ निकलता है।
--सुनील पवार.

ले डूबा हमें

 ले डूबा हमें..

आसानी से ले डूबा हमें
हमारा ही विश्वास।
वो अक्सर कहते थे हमें
की तुम हो सबसे खास।
--सुनील पवार..

जीवन का उद्देश्य

 जीवन का उद्देश्य..

जीवन का उद्देश्य परमार्थ है
मगर जगह जगह स्वार्थ दिखता है।
हर दिन नया ठेला लगता है
जहां चंद पैसे में ईमान बिकता है।
--सुनील पावर.

दिल अगर बदल सकते

 दिल अगर बदल सकते..

दिल अगर बदल सकते
तो तुम्हारा नाम कभी न लेते।
वैसे भी क्या फर्क पड़ता है?
लोग अब दिल से कहाँ सोचते है।
--सुनील पवार.

मी शोधतोय उत्तर

 मी शोधतोय उत्तर..

मी शोधतोय उत्तर
माझ्याच मनाच्या प्रश्नाचं।
तू जोडून घे ना तुझ्या मनाशी
आणि उत्तर दे त्याचं।
--सुनील पवार..

रंगबिरंगी सपने मेरे

 रंगबिरंगी सपने मेरे..

रंगबिरंगी सपने मेरे
कुछ इस तरह घुल गए।
ज़िंदगी की बरसात में
रंग सारे धुल गए।
--सुनील पवार..

चाय के बहाने

 चाय के बहाने..

चाय के बहाने
थोड़ी गपशप हो जाए।
दिल की बात
शायद ओठों पे आ जाए।
--सुनील पवार..

तेरे पास ही थे हम

 तेरे पास ही थे हम..

तेरे पास ही थे हम
पर तुम देख नही पाई।
तू ने जो कि थी
शायद वो मोहब्बत नही।
--सुनील पवार..

कुछ तो था..

 कुछ तो था..

कुछ तो था उनमें
जो खिंचते चले गए।
दिल वहीं रह गया
जब लौटकर चले आए।
--सुनील पवार..

क्यों बार बार

 क्यों बार बार..

क्यों बार बार दिल जलाए जाते है
आंसुओं की गर्मी में पिघलाएं जाते है।
सोचता हूँ की पत्थर बना दु दिल को
मगर उसपर भी फूल चढ़ाए जाते है।
--सुनील पवार.

पर अब लगता है

 पर अब लगता है..

एक आदत नही बदलती
समझ नहीं आता उपाय क्या करूँ?
सब आज़मा के देख लिया
पर अब लगता है उससे मुँह फेर लू।
--सुनिल पवार..

शिखर पर पहुँच कर

 शिखर पर पहुँच कर..

शिखर पर पहुँच कर कहि
आसमाँ की बुलंदियों में खो न जाना।
क्यों कि, हर उड़ती चीज का
तय है ज़मीन पर लौट के आना।
--सुनील पवार..

अगर

 अगर..

अगर यहीं है जवाब तुम्हारा
तो यहीं सही।
तुम्हारे सिवा ज़िंदगी मे
और भी हैं सवाल कही।
--सुनील पवार..

सजा लिया है आँखों में

 सजा लिया है आँखों में..

सजा लिया है आँखों में इक सपना
मगर नींद मेरी नदारत है।
अब खुली आँखों से भी देख सकता हु
क्यों कि वही इबादत है।
--सुनील पवार..

अजूनही पाखराला

 अजूनही पाखराला..

अजूनही पाखराला
वेड आकाशाचे आहे।
जरी अंधार दाटलेला
स्वप्न प्रकाशाचे आहे।
--सुनील पवार..

अकेले हैं तो क्या

 अकेले हैं तो क्या..

अकेले हैं तो क्या
शब्द मेरे साथ है।
हम दोनों के बीच की
यादों की बात है।
--सुनील पावर..

कणा

 कणा..

नवीन वर्षातला जुना मी..
भक्कम अजूनही कणा मी।
--सुनील पवार..

माणसं

 माणसं..

३६५ दिवसांनी वर्ष बदलते
माणसं मात्र रोज बदलतात।
--सुनील पवार..

बदल

 बदल..

बदल हा निसर्गाचा नियम आहे
पण माणसाचा अट्टाहास कायम आहे।
--सुनील पवार..