दुधगंगेची सैर करून
सांजेला चंद्र उगवला।
भास्कर चकित झाला
अंमळ लवकर मावळला।
--सुनील पावर..
दुधगंगेची सैर करून
सांजेला चंद्र उगवला।
भास्कर चकित झाला
अंमळ लवकर मावळला।
--सुनील पावर..
तुम्हारी तरह..
तुम्हारी तरह ही
मुझे नींद आती नही।
मगर
हम दोनों में फर्क इतना है की
मैं अकेला
और तुम्हारे इर्दगिर्द
सितारे है कईं।
--सुनील पवार..
भिंत मनाची..
भिंत मनाची अस्ताव्यस्त
आता सावरायला हवी।
जळमटे मनाची साफ करून
नव्याने रंगवायला हवी।
--सुनील पवार..
न जाने क्यों..
न जाने क्यों
आये दिन मौसम बदलते रहते हैं
अपना कहकर
लोग पल में पराये कर देते हैं।
--सुनील पवार..
कभी यूँ ही नही..
कभी यूँ ही नही
बार बार किसी की याद आती है।
ये वो डोर है
जो पतंग को खींचकर लाती है।
--सुनील पवार..
सदा बेहतर होता है..
सदा बेहतर होता है
समझौता कर लेना।
वरना कठिन होता है
रिश्तों को सँभालना।
--सुनील पवार..
पुरुष..
न समजलेला तो
ना समजणार कधी कोणाला।
हीच अगतिकता त्याची
नाही आवाज त्याच्या रुदनाला।
--सुनील पवार..
कुछ छूट रहा है..
कुछ छूट रहा है
क्या इसका अंदेशा है तुम्हें?
सबकुछ साथ तो ले लिया
पर तुम भूल गए हमें।
--सुनील पवार..✍️
--सुनील पवार....
माणूस म्हणून जगताना..
खिलौनों की चाहत रखने वाले..
मन बड़ा चंचल है..
घरटे सोडून जाताना..
पर गम नहीं..
वो रास्ता..
तुम यूँ ही..
सफ़र अधूरा नही छोड़ते..
ले डूबा हमें..
जीवन का उद्देश्य..
दिल अगर बदल सकते..
मी शोधतोय उत्तर..
रंगबिरंगी सपने मेरे..
चाय के बहाने..
तेरे पास ही थे हम..
कुछ तो था..
क्यों बार बार..
पर अब लगता है..
शिखर पर पहुँच कर..
अगर..
सजा लिया है आँखों में..
अजूनही पाखराला..
अकेले हैं तो क्या..
कणा..
माणसं..
बदल..