चारोळी चकोर
सोमवार, ४ जानेवारी, २०२१
क्यों बार बार
क्यों बार बार..
क्यों बार बार दिल जलाए जाते है
आंसुओं की गर्मी में पिघलाएं जाते है।
सोचता हूँ की पत्थर बना दु दिल को
मगर उसपर भी फूल चढ़ाए जाते है।
--सुनील पवार.
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