मंगळवार, १ सप्टेंबर, २०२०

ख़र्च कर दिया ख़ुद को..

 ख़र्च कर दिया ख़ुद को..

ख़र्च कर दिया ख़ुद को फिर भी
कुछ हाँसिल हुआ ना ज़िंदगी में।
शायद बाज़ार की लतख़ोरी
अब दाख़िल हुई है रिश्तों में।
--सुनील पवार..✍️

कोणत्याही टिप्पण्‍या नाहीत:

टिप्पणी पोस्ट करा