थोड़ा थोड़ा करके..
थोड़ा थोड़ा करके रूमानी हो जाऊँ।
तू मुझमें और मैं तुझमे घुल जाऊँ।
अब आयी है ऋत बरसने की तो
तुम धरती और मैं अंबर बन जाऊँ।
--सुनिल पवार...✍️
तू मुझमें और मैं तुझमे घुल जाऊँ।
अब आयी है ऋत बरसने की तो
तुम धरती और मैं अंबर बन जाऊँ।
--सुनिल पवार...✍️
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