शुक्रवार, १४ ऑगस्ट, २०२०

अनगिनत इच्छाएँ..

 अनगिनत इच्छाएँ..

अनगिनत इच्छाएँ मन की
हरदम दौड़ाती रहती हैं।
दौड़ ख़त्म हो जाती है
मगर इच्छाएँ रह जाती है।
--सुनील पवार..✍️
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