चारोळी चकोर
बुधवार, २९ जुलै, २०२०
ज़िन्दगी..
ज़िन्दगी..
खुली किताब की तरह हो ज़िन्दगी
तो भी यहा पढ़ता नही कोई।
खाली पन्ने की तरह पलटते है लोग
यहां ज़िन्दगी को हर कोई।
--सुनील पवार..
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